कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में जिला इकाई के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद खान और कुछ अन्य नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया है। आरोप के बाद यह कार्रवाई की गई कि उन्होंने साथियों (राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी) के साथ गठबंधन की भावना का उल्लंघन किया है। इम्तियाज अहमद खान ने संसदीय चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भाग लिया, जो कि पार्टी के खिलाफ माना जाता है।
पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय और अनुशासित के अनुसार, किसी भी सदस्य को पार्टी के खिलाफ कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इम्तियाज अहमद खान और उनके समर्थकों ने दोस्तों के साथ गठबंधन की नीति का उल्लंघन किया, जिससे पार्टी में असंतोष और विभाजन की स्थिति पैदा हो गई। इस प्रकार के आक्रमण पर रोक लगाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने यह कठोर कदम उठाया।
इम्तियाज अहमद खान का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि इसमें बताया गया है कि किस तरह पार्टी के अंदर असंतोष और विभाजित राजनीति पर प्रभाव पड़ सकता है। इंडिपेंडेंट के निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरना के लिए चुनौती बन रहे हैं, क्योंकि ये उम्मीदवार कई बार स्थापित हॉस्टल के वोट बैंक से प्रभावित हो सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाया गया यह कदम केवल इम्तियाज अहमद खान नहीं बल्कि अन्य नेताओं के लिए भी एक चेतावनी है कि पार्टी की ओर से उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह घटना भारतीय राजनीति में बौद्ध धर्म के आंतरिक प्रमुखों और संप्रदायों पर एक महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है।