श्रीलंका का राष्ट्रपति चुनाव 21 सितंबर को होने जा रहा है, जिसमें कई प्रमुख राजनीतिक चेहरे शामिल हैं। इस चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे, पूर्व राष्ट्रपति आर.पी. रेमादासा के बेटे साजिथ प्रेमदासा, और वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे जैसे दावेदार शामिल हैं।
हालांकि, इस चुनाव में सबसे अलग चेहरा जनता दल (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमार दिसानायके हैं। 55 वर्षीय दिसानायके का विनम्र व्यवहार और मजबूत लोगों के कौशल ने उन्हें चुनावी दौड़ में एक प्रमुख उम्मीदवार बना दिया है। उन्होंने कहा है कि उनकी जीत निश्चित है और वे 22 तारीख को सरकार बनाएंगे।
अनुरा कुमार दिसानायके का प्रारंभिक जीवन
दिसानायके का जन्म अनुराधापुरा जिले के थंबुट्टेगामा गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने उन्हें शिक्षा दिलाने में मदद की, और उन्होंने केलानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा।
राजनीतिक करियर
दिसानायके ने 1987 से 1989 तक पीपुल्स लिबरेशन पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने और आर प्रेमदासा के खिलाफ विद्रोह का समर्थन किया। 1995 में, वे सोशलिस्ट स्टूडेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय आयोजक बने और 2000 में संसद सदस्य बने।
भ्रष्टाचार विरोधी मंच
दिसानायके का मुख्य अभियान भ्रष्टाचार से लड़ना है। उन्होंने कहा कि लोग सरकारों की विफलताओं से थक चुके हैं और वे एक परिवर्तन चाहते हैं। उनका लक्ष्य आईएमएफ के आर्थिक कार्यक्रम की शर्तों पर फिर से बातचीत करना और श्रीलंका की राष्ट्रपति प्रणाली को खत्म करके ब्रिटिश शैली के संसदीय लोकतंत्र को बहाल करना है।
हालांकि, दिसानायके को कई बाधाओं का सामना करना होगा। उनके गठबंधन की संसद में केवल तीन सीटें हैं, जिससे उन्हें प्रमुख पार्टियों के एकाधिकार को तोड़ना मुश्किल होगा। इसके अलावा, उनका पार्टी का हिंसक इतिहास भी उनके लिए चुनौती बन सकता है।
दिसानायके ने कहा है कि वे सभी समुदायों से समर्थन प्राप्त कर रहे हैं और एक वास्तविक श्रीलंकाई सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं। अब यह देखना होगा कि क्या उनका यह वादा श्रीलंकाई लोगों को पसंद आएगा या नहीं, जब वोटिंग 21 तारीख को होगी।